उत्तर भारत के अधिकतर शहर इन दिनों भयंकर गर्मी और लू से जूझ रहे हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण हो रही ग्लोबल वार्मिंग ने गर्मी के प्रभाव को पहले से ज्यादा बढ़ा दिया है। हमारे शहर पहले से ज्यादा गर्म हो रहे हैं। इस भयंकर गर्मी से बचने के लिए शहर का अभिजात तबका तेजी से एयरकंडिशनर जैसी चीजें अपना रहा है। एसी जहाँ एक तरफ गर्मी मे ठंडक देती है वहीं दूसरी तरफ इससे निकलने वाली गर्मी उन लोगों को ज्यादा परेशान करती है जिनके पास ऐसी व्यवस्था नहीं है। इसलिए हमें तत्कालिक व्यक्ति केन्द्रित समाधानों की जगह दूरगामी सामूहिक समाधान ढूंढना होगा। बिना सामूहिक समाधानों के शहरों को सस्टेनेबल बनाना मुश्किल होगा।
आइए उन पांच उपायों की बात करते हैं जिससे हमारे शहरों में गर्मी के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
पहला उपाय- पारंपरिक जलस्रोतों को पुनर्जीवित करना
जल स्रोत अपने आस पास के वातावरण को ठंडा रखते हैं। हमारे शहरों में प्रचंड गर्मी और लू चल रही है। सार्वजनिक जलस्रोतों में एक बूंद भी साफ पानी नहीं बचा है। तालाब, कुएं, बावड़ी और पोखरे नष्ट हो चुके हैं। शहरों से गुजरने वाली ज्यादातर नदियां नाले में तब्दील हो चुकी हैं। शहरों को ठंडा रखने के लिए ये बेहद जरूरी है कि तालाबों को पुनर्जीवित किया जाए। तालाब न सिर्फ शहरों को ठंडा रखते हैं बल्कि ये सूखा और शहरी बाढ़ को रोकने में भी कारगर हैं। यही नहीं तालाबों से भू जलस्तर भी सही बना रहता है।
दूसरा उपाय- शहरों मे हरियाली बढ़ाना
आंकडे बताते हैं कि शहर के जिन हिस्सों में हरियाली ज्यादा होती है, वहाँ तापमान बाकी हिस्सों के मुकाबले कम होता है। हमें अपने शहरों की प्लानिंग में हरियाली को और ज्यादा बढ़ाना होगा। हम घर की छतों और दीवारों का इस्तेमाल भी ग्रीनरी बढाने के लिए कर सकते हैं।
तीसरा उपाय – कंक्रीट का बेहतर विकल्प तलाश करना
हमें कंस्ट्रक्शन की प्लानिंग, डिजाइनिंग और कंस्ट्रक्शन मैटेरियल के नए विकल्पों की तलाश करना होगा। आज कंस्ट्रक्शन से जुडी हर चीज में हम कंक्रीट का इस्तेमाल करते हैं। ये कंक्रीट दिन में धूप से गर्मी सोख लेती है और हीट आइलैंड इफेक्ट के कारण शहरों के वातावरण को प्राकृतिक तापमान से भी ज्यादा गर्म कर देती है । हमने शहरों की सारी मिट्टी को कंक्रीट से ढक दिया है। हमें अपने भवन निर्माण सामग्री और भवन निर्माण की डिजाइन का चुनाव भी स्थानीय भूगोल के हिसाब से करना होगा ।
चौथा उपाय- सार्वजनिक वहाँ को बढ़ावा देना
शहरों में चलने वाले प्राइवेट वाहन अपने एयर कंडीशनर से गर्मी पैदा करते हैं। इसके अलावा इन वाहनों के इंजनों से भी गर्मी निकलती है। यदि सार्वजनिक वाहन की पर्याप्त उपलब्धता हो तो इस समस्या भी कम किया जा सकता है ।
पांचवां उपाय – कूलिंग के पारंपरिक तरीके अपनाना
हमें घरों और दफ्तरों को ठंडा रखने के लिए पारंपरिक प्राकृतिक तरीके फिर से अपनाना होगा ।आज दुनिया भर में ऐसे बहुत सारे उपाय ढूंढे जा रहा है जिनसे बिना एयरकंडीशनर के घर को ठंडा रखा जा सकता है।