अंधेरा भी जरूरी है – Team Indian Environmentalism

क्या आपको बचपन का धारावाहिक शक्तिमान याद है? इसमें अंधेरे को बुराई के रूप में दिखाया गया है। शक्तिमान धारावाहिक का विलेन बार-बार दोहराता रहता है, “अंधेरा कायम रहे”।

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भारत में वायु गुणवत्ता का स्वास्थ्य और आर्थिक प्रभाव -04 : ~मधु सूदन यादव

भारत सरकार ने वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए वायु (प्रदूषण नियंत्रण एवं रोकथाम) अधिनियम 1981 पारित किया गया था ,केन्द्र में केन्द्रीय प्रदूषण बोर्ड तथा विभिन्न प्रदेशों में विभिन्न प्रदूषण नियन्त्रण केन्द्रों की स्थापना की गई। लेकिन लोगों में जागरूकता की अभाव और राजनैतिक कारणों से ,ये कानून उतने प्रभावी नही हुये कि हम एक निष्कर्ष पे आ सके । इस ब्लॉग में हम कुछ प्रभावी उपायों पे चर्चा करने की कोशिश करेंगे।

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भारत में वायु गुणवत्ता का स्वास्थ्य और आर्थिक प्रभाव -03 : ~मधु सूदन यादव

आज के समय में हमारे सामने दो बड़ी चुनौतियां हैं। एक- पर्यावरण को स्वच्छ रखने में हम कैसे योगदान दें और दूसरा- खतरनाक स्तर तक पहुंच चुके पर्यावरण प्रदूषण को कैसे कम किया जाए। वायु प्रदूषण सिर्फ नागरिकों के स्वास्थ्य पर ही नहीं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है।

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सिमलीपाल आग की वजह क्या है -Team Indian Environmentalism

सिमलीपाल नेशनल पार्क उड़ीसा के मयूरभंज जिले में पड़ता है। यहां पिछले 2 हफ्ते से जंगल की आग लगी हुई है। यह नेशनल पार्क सिमलीपाल जैव मंडल (Biosphere) का एक हिस्सा है। सिमलीपाल जैव मंडल पर्यावरण की दृष्टि से बेहद संवेदनशील माना जाता है। यह 5569 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यह भारत का…

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शहर है या पिंजरा – Team Indian Environmentalism

प्रेम के प्रतीकों को पिंजरे में बंद कर दिया गया है। हमें लगता है कि पिंजरे में बंद चिड़िया गाती हैं जबकि वह चिल्लाती हैं। हमारी क्रोनोलॉजी कुछ ऐसी है कि जो सबके लिए उपलब्ध है उसे पहले विलुप्त कर दो और फिर उसे थोड़ा-थोड़ा करके बेचो। साफ पानी, साफ हवा, हरे-भरे जंगल, जीव-जंतु, पक्षी,…

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भारत में वायु गुणवत्ता का स्वास्थ्य और आर्थिक प्रभाव -02 : – मधु सूदन यादव

महात्मा गांधी का कथन है कि, “तुम जो भी करोगे वो नगण्य होगा, लेकिन यह ज़रूरी है कि तुम वो करो।” इस लेख में हम वायु प्रदूषण के वर्तमान एवं भविष्य के दुष्प्रभावों पर चर्चा करेंगे।

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भारत में वायु गुणवत्ता का स्वास्थ्य और आर्थिक प्रभाव -01 : – मधु सूदन यादव

भौतिकतावाद के इस दौर में आज एक आम व्यक्ति अपने शारीरिक सुखों और विभिन्न प्रकार के शौक को पूरा के लिए इतना आत्मकेंद्रित हो चुका है कि वह अपने आसपास के बिगड़ते वातावरण को लेकर सुप्तावस्था में है। इक्कीसवीं सदी में जिस प्रकार से हम औद्योगिक विकास और भौतिक समृद्धि की ओर बढ़े चले जा रहे हैं,उसका मूल्य हो सकता हो कि आने वाली पीढ़ी चुकायेगी । इस सुख-समृद्धि ने मानव जीवन और पर्यावरण के बीच स्थापित सामंजस्य को भारी नुकसान पहुंचाया है।

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पर्व और पर्यावरण – Team Indian Environmentalism

पर्व और त्यौहार हमारी संस्कृति के अभिन्न हिस्सा रहे हैं। हमारी परंपरा में ऋतुओं के अनुसार त्यौहार हैं। फसल चक्र के अनुरूप त्यौहार हैं। तमाम लोक अनुभूतियों और स्मृतियों को संजोये हुए ये त्यौहार हमारे अतीत को वर्तमान से जोड़ते हैं और हमें भविष्य का रास्ता भी दिखाते हैं। इसके साथ ही त्यौहार हमें उत्सव धर्मी भी बनाने का प्रयास करते हैं अब हमारा समाज कितना उत्सव धर्मी बन पाता हैबये एक अलग विषय है (भारत दुनिया के सबसे कम खुशहाल देशों में से एक है)।

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“उत्तराखंड परियोजना” पर्यावरण के लिए एक अभिशाप – रत्नेश सिंह

चौड़ी सड़कें भला किसे पसंद न होगी, पहाड़ी रास्तों पर सफर करना और समय पर अपने ठिकानों पर पहुंच जाना किसे अच्छा नहीं लगेगा। लेकिन ये सवाल क्या कम अहम है, कि ये जंगल दोबारा मिल सकेगा ? ये पहाड़, छोटे-छोटे पेड़ पौधे, वनस्पति, झरने, वहां पर रहने वाले पशु-पक्षी, वहां की मिट्टी, हवा, ये…

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