गांव की ओर लौटो- 3 -अतुल पांडेय

शहरीकरण पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं को बढ़ाता है। गांव से शहरों की ओर होने वाले पलायन का एक मुख्य कारण है “रोजगार की तलाश”। खेती की दुर्दशा और बेतहाशा जनसंख्या वृद्धि ने इस पलायन को और ज्यादा तीव्र कर दिया है।

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“इको फ्रेंडली कॉलेज” – सौभाग्य पांडेय

भारत युवाओं का देश है। बड़ी संख्या में युवा कॉलेजों में पढ़ते हैं। अगर हम अपने कॉलेजों को इको फ्रेंडली बनाते है, तो न सिर्फ इसका असर एक बड़े पैमाने पर पर्यावरण पर होगा बल्कि देश के युवा वर्ग में एक बड़ी जागृति भी आएगी।

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पर्यावरण और मानव व्यवहार – आशीष कुमार

            पिछले कुछ सालों से हम ‘पर्यावरण’ शब्द का प्रयोग निरंतर टेलीविजन, अखबारों और सोशल मीडिया में होता देख रहे हैं। परंतु पर्यावरण और मानव का संबंध जीवन की उत्पत्ति (लगभग 4000 वर्ष पूर्व) के साथ जुड़ा हुआ है और निरंतर बदलाव के साथ आज तक चला आ रहा है। जिससे समय-समय पर मानव व्यवहार…

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गांव की ओर लौटो -2 ~ अतुल पांडेय

गांधी जी ने कहा था कि “असली भारत गांवों में बसता है”। हमें अपने पर्यावरण के एजेंडे को और इससे जुड़े विमर्श को गांवों पर केंद्रित करना होगा, खुशहाल गांव से ही खुशहाल भारत का निर्माण संभव है। गांव के बिना पर्यावरण की कोई भी चर्चा अधूरी है । श्रंखला के इस लेख में हम…

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गांव की ओर लौटो – 1 ~ अतुल पांडेय

90 के दशक में शुरू हुए उदारीकरण के बाद गांवों से शहरों की तरफ पलायन एक सामान्य प्रक्रिया बन गई है । आज के समय में शहर को समस्त संभावनाओं का केंद्र मान लिया गया है ।शहर सपनों को पूरा करने का जरूरी जरिया बन गए हैं।शहर समाधान हैं और शहरीकरण भारत का भविष्य ,ऐसी मान्यता बन चली है।

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स्कूली शिक्षा और पर्यावरण ~ मानवेंद्र कुमार सिंह

पर्यावरण हमेशा से समाज का हिस्सा रहा है चाहे वह दुनिया का कोई भी समाज हो । इस समय पूरी दुनिया पर्यावरण की समस्या से जूझ रही है। और इस समस्या से निपटने के लिए पूरा विश्व एक मंच पर इस समस्या का समाधान ढूंढ रहा है। हमारे समाज में पहले पर्यावरण को सुरक्षित रखने…

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गांव में साफ पानी की समस्या और उनका समाधान ~ मधुसूदन यादव

एक बार महात्मा बुद्ध अपने कुछ शिष्यों के साथ एक गांव में भ्रमण कर रहे थे। बुद्ध जी को काफी प्यास लगी थी।

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रासायनिक उर्वरकों का दुष्प्रभाव – Saubhagya Pandey

वर्तमान भारत के आंकड़े ये बता रहे है कि भारत मे ग़रीबी और भुखमरी पहले के मुकाबले न्यून हो रहीं है,लेकिन देश की आज़ादी के पहले और आज़ादी की लड़ाई के दैरान यह एक गम्भीर समस्या थी।

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