शहरी बाढ़ ( Urban flood ) – मधुसूदन यादव
आज के दिन में अगर आप शहरों और आपदाओं के इतिहास देखेंगे तो पता चलेगा कि कुछ आपदायें चेतावनी देकर जा चुकी होती है ,पर हमारा समाज उन आपदाओं का आना प्रकृति की नियति मानता है और अपने सामाजिक और आर्थिक नुकसान को देखना अपनी मजबूरी । सही मायने में देखा जाये तो संकट असल में आपदा का नहीं, संवेदनशीलता का है।