नमस्कार दोस्तों आज हम आप के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं लोकज्ञान के पर्यावरण दर्शन से जुड़ी हुई देशज कहावतें।
आप देखेंगे की इन कहावतों को इस तरह गढ़ा गया है की ये किसी भी आम इंसान को आसानी से समझ आ जाती है और याद हो जाती है। आज जब हमारी पर्यावरण शब्दावली कठिन शब्दों, जारगंस और अंग्रेजी के उल्टे सीधे अनुवादों से भरती जा रही है ऐसे में ये कहावतें हमें एक रास्ता बताती हैं कि पर्यावरण की भाषा कैसी होनी चाहिये।
आइये इस लेख में पढ़ते हैं जुताई बुवाई से संबन्धित कहावतें। ये कहावतें महाकवि घाघ एवं भड्डरी के द्वारा कही गई हैं।
गहिर न जोतै बोवै धान। सो घर कोठिला भरै किसान ॥
गहरा न जोतकर धान बोने से उसकी पैदावार खूब होती है।
गेहूँ भवा काहें । असाढ़ के दुइ बाहें ॥
गेहूँ भवा काहें । सोलह बाहें नौ गाहें ॥
गेहूँ भवा काहें । सोलह दायँ बाहें ॥
गेहूँ भवा काहें । कातिक के चौबाहें ॥
गेहूँ की पैदावार अच्छी कैसे होती है ? आषाढ़ महीने में दो बाँह जोतने से; कुल सोलह बाँह करने से और नौ बार हेंगाने से, कार्तिक में बोवाई करने से पहले चार बार जोतने से।
गेहूँ बाहें । धान बिदाहें ॥
गेहूँ की पैदावार अधिक बार जोतने से और धान की पैदावार विदाहे (धान बोने के चार दिन बाद जोतवा देने) से अच्छी होती है।
गेहूँ मटर सरसी । औ जौ कुरसी ॥
गेहूँ और मटर की बोआई सरस खेत में तथा जौ की बोआई कुरसी में करने से पैदावार अच्छी होती है।
गेहूँ बाहा, धान गाहा। ऊख गोड़ाई से है आहा ॥
जौ-गेहूँ कई बाँह करने से, धान बिदाहने से और ऊख कई बार गोड़ने से इनकी पैदावार अच्छी होती है।
गेहूँ बाहें, चना दलाये । धान गाहें, मक्का निराये। उख कसाये।।
खूब बाँह करने से गेहूँ, खोंटने से चना, बार बार पानी मिलने से धान, निराने से मक्का और पानी में छोड़कर बाद में बोने से ऊख की फसल अच्छी होती है।
पुरुवा रोपे पूर किसान। आधा खखड़ी आधा धान ॥
पूर्वा नक्षत्र में धान रोपने पर आधा धान और आधा पैया (छूछ) पैदा होता है।
पुरुवा में जिनि रोपो भैया। एक धान में सोलह पैया ॥
पूर्वा नक्षत्र में धान न रोपो नहीं तो धान के एक पेड़ में सोलह पैया पैदा होगा।
कन्या धान मीनै जौ । जहाँ चाहै तहँवै लौ ॥
कन्या की संक्रांति होने पर धान (कुआरी) और मीन की संक्रान्ति होने पर जौ की फसल काटनी चाहिये।
कुलिहर भदई बोओ यार। तब चिउराकी होय बहार ॥
कुलिहर (पूस-माघ में जोते हुए) खेत में भादो में पकनेवाला धान बोने से चिउड़े का आनन्द आता है-अर्थात् वह धान खूब उपजता है।
आँकसे कोदो, नीम जवा । गाड़र गेहूँ बेर चना ॥
यदि मदार खूब फूलता है तो कोदो की फसल अच्छी है। नीम के पेड़ में अधिक फूल-फल लगते हैं तो जौ की फसल, यदि गाड़र (एक घास जिसे खस भी कहते हैं) की वृद्धि होती है तो गेहूँ, बेर और चने की फसल अच्छी होती है।
आद्रा में जो बोवै साठी । दुःखै मारि निकारै लाठी ॥
जो किसान आद्रा में धान बोता है वह दुःख को लाठी मारकर भगा देता है।
आर्द्रा बरसे पुनर्वसुजाय, दीन अन्न कोऊ ना खाय॥
यदि आर्द्रा नक्षत्र में वर्षा हो और पुनर्वसु नक्षत्र में पानी न बरसे तो ऐसी अच्छी फसल होगी कि कोई दिया हुआ अन्न भी नहीं खायेगा।
आस-पास रबी बीच में खरीफ |
नोन मिर्च डालके, खा गया हरीफ ॥
खरीफ की फसल के बीच में रबी की फसल लगानी अच्छी नहीं होती।