Extinct Animals

Extinct Animal को फिर से जिंदा करना – Ethical या Sin

हमारी धरती पर जीवन की शुरुआत तकरीबन 3.7 अरब वर्ष पहले हुई थी। इस दौरान इस धरती पर लाखों-करोड़ों प्रजातियाँ अस्तित्व में आईं और फिर Extinct हो गईं। वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी पर अब तक जितनी भी प्रजातियाँ जन्मी हैं, उनमें से 99% से भी अधिक प्रजातियाँ विलुप्त हो चुकी हैं। इस धरती…

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युद्ध के पर्यावरणीय प्रभाव

युद्ध के पर्यावरणीय प्रभाव

युद्ध केवल हथियारों और सैनिकों के टकराव का नाम नहीं है। यह एक व्यापक सामाजिक, मानवीय और पारिस्थितिकीय आपदा है। जब सशस्त्र संघर्ष होते हैं तब नदियाँ सूखती हैं, जंगल जलते हैं, और मिट्टी जहरीली हो जाती है। युद्धों को आम तौर पर मानव जीवन, संपत्ति और भू-राजनीतिक स्थिति पर उनके प्रभाव के संदर्भ में…

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Domestic Animal

Domestic Animals की सेक्सुअल ज़रूरतें

मनुष्यों के लिए जीव जंतुओं को पालतू बनाना कोई नई बात नहीं है। मानव सभ्यता के आरंभ से ही जानवरों को अपने जीवन का हिस्सा बनाकर हमने उन्हें मित्र, सहयोगी और सहयात्री के रूप में अपनाया है। इतिहास की सभी पुरानी सभ्यताओं जैसे कि सिन्धु, मिस्र, मेसोपोटामिया या माया की खुदाईयों में ऐसे प्रमाण मिलते…

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Heatwaves in India this summer.

हीटवेव और गर्मी के बचने का रास्ता क्या है

मानवजनित जलवायु परिवर्तन ने आस पास के गर्मी को एक व्यापक पर्यावरणीय संकट में बदल दिया है। 2014 से 2023 तक का दशक, मानव इतिहास में अब तक का सबसे गर्म दशक रहा है, जिसमें वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर 280 पीपीएम (औद्योगिक क्रांति से पहले के स्तर) से बढ़कर 425 पीपीएम तक पहुंच गया…

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लॉस एंजेलेस की आग और पर्यावरणीय चिंताएं

लॉस एंजेलेस, जो अपनी चमचमाती लाइफस्टाइल और खूबसूरत परिदृश्यों के लिए जाना जाता है, पिछले कुछ दिनों से आग की लपटों से जूझ रहा है। जंगलों में लगी यह आग न केवल पर्यावरण को भारी नुकसान पहुँचा रही है, बल्कि स्थानीय लोगों के जीवन को भी प्रभावित कर रही है। इस आग ने अब तक…

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Delhi Pollution

दिल्ली की खराब हवा के लिए किसान कितने दोषी हैं – सुंदरम सक्सेना

अक्सर पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने को दिल्ली की दमघोंटू हवा का प्रमुख कारण बताया जाता है। धान की कटाई के बाद बचे हुए फसल अवशेषों को जलाने की यह प्रथा आमतौर पर हर साल 15 सितंबर से 30 नवंबर के बीच होती है। इन महीनों के दौरान मीडिया, सरकार और दिल्ली-एनसीआर में रहने…

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स्पीकिंग विद नेचर: द ओरिजिंस ऑफ इंडियन एनवायरनमेंटलिज़्म पुस्तक की समीक्षा

रामचंद्र गुहा की पुस्तक स्पीकिंग विद नेचर भारतीय पर्यावरणवाद के इतिहास और इसकी अनोखी विशेषताओं का गहन अध्ययन प्रस्तुत करती है। यह न केवल पर्यावरणीय समस्याओं को समझने का प्रयास करती है, बल्कि उन विचारकों और आंदोलनों पर भी प्रकाश डालती है जिन्होंने भारत में पर्यावरणीय चेतना को आकार दिया। यह पुस्तक भारतीय पर्यावरणवाद की…

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Mangifera Indica: A Biography of the Mango पुस्तक की समीक्षा 

सोपान जोशी की Mangifera Indica: A Biography of the Mango एक ऐसी पुस्तक है, जो आम के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, और आर्थिक महत्व की गहन पड़ताल करती है। यह आम के माध्यम से भारतीय समाज और इसकी गहरी परंपराओं को समझने का एक शानदार प्रयास है। पुस्तक आम को केवल एक फल तक सीमित नहीं करती,…

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अमिताव घोष की पुस्तक “द ग्रेट डिरेंजमेंट” का सारांश

पुस्तक का परिचय:अमिताव घोष का “द ग्रेट डिरेंजमेंट: क्लाइमेट चेंज एंड द अनथिंकेबल” पर्यावरण संकट, जलवायु परिवर्तन और इस पर समाज, साहित्य, और राजनीति की चुप्पी के बारे में एक गहन और विचारोत्तेजक पुस्तक है। घोष ने इसे तीन भागों में बांटा है— कहानी, इतिहास और राजनीति। इस पुस्तक में जलवायु परिवर्तन को केवल एक…

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स्मॉल इज़ ब्यूटीफुल पुस्तक का सारांश

“स्मॉल इज़ ब्यूटीफुल: ए स्टडी ऑफ इकोनॉमिक्स ऐज़ इफ पीपल मैटरड” जर्मन-ब्रिटिश अर्थशास्त्री ई. एफ. शूमाकर द्वारा लिखित एक प्रभावशाली पुस्तक है। यह पुस्तक 1973 में पहली बार प्रकाशित हुई थी। यह पुस्तक आधुनिक आर्थिक नीतियों और बड़े पैमाने पर औद्योगिक विकास की आलोचना करती है और छोटे, टिकाऊ, और स्थानीय विकास पर जोर देती…

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