ग्रीनवॉशिंग क्या है 

पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास की बढ़ती जागरूकता के साथ, कंपनियाँ खुद को “हरित” (ग्रीन) दिखाने के लिए तरह-तरह के दावे करती हैं। हालांकि, इनमें से कई दावे वास्तविकता से दूर होते हैं, जिन्हें “ग्रीनवॉशिंग” कहा जाता है। ग्रीनवॉशिंग पर्यावरणीय मुद्दों का समाधान करने की बजाय इनका दुरुपयोग कर कंपनियों को लाभ कमाने का एक…

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साइलेंट स्प्रिंग” पुस्तक का सारांश

परिचय रेचल कार्सन की पुस्तक “साइलेंट स्प्रिंग” को पर्यावरणीय चेतना के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कृति माना जाता है। यह पुस्तक 1962 में प्रकाशित हुई थी। इस पुस्तक ने रासायनिक कीटनाशकों के अत्यधिक और अंधाधुंध उपयोग के प्रति समाज का ध्यान आकर्षित किया। “साइलेंट स्प्रिंग” का मतलब है “खामोश वसंत,” जो कि एक ऐसे भविष्य…

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ट्रैफिक के इस समस्या का समाधान कैसे होगा 

भारत में उदारीकरण के बाद आर्थिक संवृद्धि आई है जिससे एसी वाली कारों का चलन बढ़ा है। हालांकि, ये कारें कुछ लोगों को गर्मी से राहत जरूर देती हैं, लेकिन सड़कों पर भीड़भाड़, शोर, और अत्यधिक गर्मी जैसी समस्याओं का भी कारण बन गई हैं। निजी कारों की संख्या में लगातार हो रही वृद्धि से…

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एयर प्यूरीफायर कितने कारगर हैं, सही एयर प्यूरीफायर का चुनाव कैसे करें

दिल्ली और अन्य बड़े शहरों में वायु प्रदूषण एक विकराल समस्या बन चुका है। हर सर्दी के मौसम में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ‘गंभीर’ स्तर पर पहुंच जाता है। वायु प्रदूषण से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों के कैंसर और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में एयर प्यूरीफायर (Air Purifiers) लोगों…

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भारतीय राजनीति में लोकलुभावनवाद से जल संसाधनों पर संकट

भारतीय राजनीति में लोकलुभावनवाद का बढ़ता प्रभाव आज कई गम्भीर प्रश्न खड़े कर रहा है, जिनका सीधा संबंध देश के प्राकृतिक संसाधनों, विशेष रूप से जल से है। भारतीय राजनीतिक दल अपने घोषणापत्रों में किसानों को आकर्षित करने के लिए कृषि उत्पादों पर विशेष समर्थन मूल्य (MSP) की घोषणा करते हैं, लेकिन इस होड़ में…

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पर्यावरणीय लोकतंत्र: एक नई दिशा और इसकी प्रासंगिकता

आज की दुनिया में अधिकांश राजनीतिक और आर्थिक विचारधाराओं ने विकास और आर्थिक लाभ को प्राथमिकता दी है। प्रमुख नीतियों का निर्धारण इस आधार पर होता है कि आर्थिक संवृद्धि कैसे बढ़े और उसका वितरण किस तरह किया जाए। आर्थिक विकास के प्रतिफल का बंटवारा किस प्रकार हो, यही सवाल मुख्य राजनीति और नीति निर्धारण…

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भारत के चुनावी विमर्श से पर्यावरणीय मुद्दे क्यों गायब हो जाते हैं?

भारत में चुनावी राजनीति में पर्यावरणीय मुद्दों की अनदेखी कोई नई बात नहीं है। हरियाणा में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान पराली जलाने, भूजल के खारेपन, बजरी खनन, अरावली की दुर्दशा और शहरी जलभराव जैसी गंभीर समस्याएँ बिल्कुल भी चर्चा का केंद्र नहीं बनीं। अब महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव होने जा…

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सर्दियों में इनडोर वायु गुणवत्ता: एक गंभीर समस्या और उसके समाधान

सर्दियों के मौसम में इनडोर वायु गुणवत्ता (Indoor Air Quality, IAQ) एक बड़ी चिंता का विषय बन जाती है। ठंड के कारण लोग दरवाजे और खिड़कियां बंद रखते हैं, जिससे वायु परिसंचरण बाधित होता है। साथ ही, हीटर, कुकिंग गैस, और अन्य स्रोतों से निकलने वाले प्रदूषक कमरे में ही रह जाते हैं। नतीजतन, इनडोर…

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यमुना में झाग: प्रदूषण का दुष्प्रभाव और समाधान की आवश्यकता

यमुना नदी का दिल्ली के साथ एक अटूट और ऐतिहासिक संबंध रहा है, लेकिन आज यह नदी अपने अस्तित्व की सबसे बड़ी चुनौती का सामना कर रही है।यमुना नदी का प्रदूषण आज न केवल दिल्ली बल्कि पूरे उत्तर भारत के लिए एक गंभीर समस्या बन गया है। यमुना की कुल लंबाई लगभग 1376 किलोमीटर है,…

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डेंगू का छोटे शहरों और गाँवों में प्रसार: आधुनिक विकास की चुनौतियाँ और संभावित समाधान

भारत में बीते कुछ वर्षों में डेंगू जैसी घातक बीमारी का प्रकोप न केवल महानगरों तक सीमित रहा है, बल्कि अब यह छोटे शहरों, कस्बों और यहाँ तक कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी तेज़ी से फैलने लगा है। आधुनिक शहरीकरण, बढ़ती भीड़भाड़ और असंगठित विकास के चलते डेंगू जैसी बीमारियाँ अब छोटे शहरों और गाँवों…

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