भारत में वापस आ रहे हैं चीते – Team Indian Environmentalism

भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां पर बाघ और शेर दोनों ही पाए जाते हैं। जबकि, यहां पर एशिया-अफ्रीका में पाई जाने वाली बड़ी बिल्लियों की छहों प्रजातियां कभी पाई जाती थीं। लेकिन, वक्त की मार के साथ इनमें से चीता विलुप्त हो गया।

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ट्रैफिक समस्या का समाधान क्या है? – अतुल पाण्डेय

1991 में शुरू हुए उदारीकरण के बाद हमारे यातायात की आदतों में तेजी से बदलाव हुआ है । वैश्वीकरण ने मानव गतिशीलता को बढ़ाया हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS- 5) के आँकड़े बताते हैं कि देश के 7.5 प्रतिशत परिवारों के पास अपनी कार हैं । 2018 में यह आँकड़ा 6 प्रतिशत का था…

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ट्रैफिक जाम की समस्या का समाधान क्या है – Team Indian Environmentalism

आज दुनिया के अधिकतर शहर ट्रैफिक जाम की समस्या से जूझ रहे हैं। विकासशील देशों में तो स्थिति और ज्यादा खराब हैं। शहरों में भीड़ भाड़ बढ़ती जा रही हैं और बिना किसीप्लानिंग के शहरों का विकास हो रहा हैं और दुनिया भर में इस बात की चर्चा होती रहती है कि आखिर ट्रैफिक जाम…

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एक्सप्रेसवे अच्छे हैं या बुरे – Team Indian Environmentalism

एक्सप्रेसवे यानी तीव्र गति से चलने के लिए बनाई गई सडकें इन दिनों खूब चलन में हैं। इन्हें भीड़ भाड़ वाले ट्रैफिक के विकल्प के रूप में दिखाया जा रहा है। लगभग सभी राजनीतिक पार्टियों की सरकारें एक्सप्रेस को बढावा देने में लगी हैं। साथ ही ज्यादा से ज्यादा एक्सप्रेस बनवाना चुनावी मुद्दा भी बन…

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शहरों मे गर्मी कम कैसे होगी – Team Indian Environmentalism

उत्तर भारत के अधिकतर शहर इन दिनों भयंकर गर्मी और लू से जूझ रहे हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण हो रही ग्लोबल वार्मिंग ने गर्मी के प्रभाव को पहले से ज्यादा बढ़ा दिया है। हमारे शहर पहले से ज्यादा गर्म हो रहे हैं। इस भयंकर गर्मी से बचने के लिए शहर का अभिजात तबका तेजी…

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भविष्य मोटे अनाजों का है – अतुल पाण्डेय

मोटे अनाज यानी मिलेट्स हमेशा से भारतीय भोजन परंपरा के हिस्सा रहे हैं । एक समय था जब हमारी खाने की प्लेट मोटे अनाज से बने व्यंजनों से से भरी रहती थी, लेकिन हरित क्रांति के बाद  भारतीय खेती आमूलचूल रूप से बदल गई। खाद्य सुरक्षा के नाम पर जबरदस्ती थोपी गई हरित क्रांति के दूरगामी परिणाम…

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विकास का नाम विनाश का काम – रत्नेश सिंह

अपनी पौराणिक कथाओं से शुरू करते हैं।
महाभारत के समय पांडवों को 12 साल के लिए वनवास और
1 साल का अज्ञातवास मिला था, ठीक वैसा ही रामायण में भगवान राम जी को भी 14 वर्षों का वनवास मिला था।

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