भारत के चुनावी विमर्श से पर्यावरणीय मुद्दे क्यों गायब हो जाते हैं?

भारत में चुनावी राजनीति में पर्यावरणीय मुद्दों की अनदेखी कोई नई बात नहीं है। हरियाणा में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान पराली जलाने, भूजल के खारेपन, बजरी खनन, अरावली की दुर्दशा और शहरी जलभराव जैसी गंभीर समस्याएँ बिल्कुल भी चर्चा का केंद्र नहीं बनीं। अब महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव होने जा…

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ट्रैफिक समस्या का समाधान क्या है? – अतुल पाण्डेय

1991 में शुरू हुए उदारीकरण के बाद हमारे यातायात की आदतों में तेजी से बदलाव हुआ है । वैश्वीकरण ने मानव गतिशीलता को बढ़ाया हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS- 5) के आँकड़े बताते हैं कि देश के 7.5 प्रतिशत परिवारों के पास अपनी कार हैं । 2018 में यह आँकड़ा 6 प्रतिशत का था…

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