स्मॉल इज़ ब्यूटीफुल पुस्तक का सारांश

“स्मॉल इज़ ब्यूटीफुल: ए स्टडी ऑफ इकोनॉमिक्स ऐज़ इफ पीपल मैटरड” जर्मन-ब्रिटिश अर्थशास्त्री ई. एफ. शूमाकर द्वारा लिखित एक प्रभावशाली पुस्तक है। यह पुस्तक 1973 में पहली बार प्रकाशित हुई थी। यह पुस्तक आधुनिक आर्थिक नीतियों और बड़े पैमाने पर औद्योगिक विकास की आलोचना करती है और छोटे, टिकाऊ, और स्थानीय विकास पर जोर देती…

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COP29: विकसित देशों ने जिम्मेदारी उठाने से किया इंकार 

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के पार्टियों के 29वें सम्मेलन (कॉप-29) का समापन बड़े विवादों और गंभीर असंतोष के साथ हुआ। सम्मेलन में विकासशील और विकसित देशों के बीच जलवायु वित्तपोषण और जिम्मेदारी को लेकर मतभेद स्पष्ट रूप से उभरे। मुख्य उपलब्धि: नया जलवायु वित्त लक्ष्य कॉप-29 में एक बड़ी उपलब्धि के…

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ग्रीनवॉशिंग क्या है 

पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास की बढ़ती जागरूकता के साथ, कंपनियाँ खुद को “हरित” (ग्रीन) दिखाने के लिए तरह-तरह के दावे करती हैं। हालांकि, इनमें से कई दावे वास्तविकता से दूर होते हैं, जिन्हें “ग्रीनवॉशिंग” कहा जाता है। ग्रीनवॉशिंग पर्यावरणीय मुद्दों का समाधान करने की बजाय इनका दुरुपयोग कर कंपनियों को लाभ कमाने का एक…

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The Role of India’s Middle Class in Environmentalism: Challenges, Activism, and Future Prospects

Environmentalism in India is often viewed through the lens of rural struggles or the actions of marginalized groups. However, the role of the urban middle class, a group that exerts immense influence on environmental and social dynamics, deserves closer scrutiny. As urbanization accelerates and environmental challenges deepen, the middle class occupies a pivotal position in…

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दिल्ली की कचरा प्रबंधन समस्या और समाधान: ठोस कचरा प्रबंधन की दिशा में कदम

परिचय दिल्ली में ठोस कचरा प्रबंधन (Solid Waste Management  SWM) की जिम्मेदारी मुख्यतः तीन शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) के पास है: दिल्ली नगर निगम (MCD), नई दिल्ली नगर निगम (NDMC), और दिल्ली छावनी बोर्ड (DCB)। हर दिन लगभग 11,342 टन ठोस कचरा दिल्ली में उत्पन्न होता है, जिसमें से 3,800 टन कचरा बिना संसाधित किए…

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